
बंशीधर नगर : श्री बंशीधर नगर में रविवार की शाम में अचानक तेज आंधी तूफान के साथ हुई बारिश से जहां आम अवाम को तेज धूप व गर्मी से राहत मिली है। वहीं नगर पंचायत की पोल खुल गई है। बारिश के बाद श्री बंशीधर नगर शहर की स्थिति नारकीय हो गई।
शहर की हृदयस्थली श्री बंशीधर मंदिर, सूर्य मंदिर, मेन रोड बस स्टैंड, सब्जी बाजार समेत शहर की तमाम गलियों में नाली का गंदा पानी पट गया है। शहर के कई दुकानों में एवं मकानों में नाली का पानी घुस गया। नाली का गंदा पानी सड़क पर बहने के कारण जहां शहर की स्थिति नारकीय हो गई। वहीं लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। जबकि श्रद्धालु बस स्टैंड से सब्जी बाजार होते हुये पैदल श्री बंशीधर मंदिर जाते हैं। नाली के पानी से निकल रहे दुर्गंध से शहरवासियों का जीना मुहाल हो गया।
दुकानदार दुकान से एवं मकान मालिक घर से नाली का गंदा पानी निकालने में देर रात तक लगे रहे। दुकान एवं मकान से नाली का पानी निकलने के बाद भी दुकान एवं मकान से दुर्गंध नहीं जा रहा है। जिससे दुकानदारों एवं मकान मालिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे दिलचस्प बात है कि शहर की मुख्य हृदयस्थली वार्ड नंबर आठ है। इसी वार्ड से नपं अध्यक्ष विजयालक्ष्मी देवी, नपं उपाध्यक्ष लता देवी एवं वार्ड आठ के वार्ड पार्षद नीरज कुमार निर्वाचित हुये हैं उनका निवास भी है उसके बाद भी शहर की हृदयस्थली की यह हाल है तो अन्य वार्ड की क्या स्थिति होगी इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
उधर श्री बंशीधर मंदिर एवं सूर्य मंदिर के सामने से सड़क पर नाली का गंदा पानी बहने के कारण श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शहरवासियों की मानें तो नपं में बार-बार शिकायत करने के बाद भी नपं की ओर से शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। नपं के द्वारा शहरवासियों की समस्याओं को हल्के में लिया जाता है। शहरवासी जहां समस्याओं से त्रस्त हैं वहीं नगर पंचायत सरकारी राशि को ठिकाने लगाने में मस्त है।
उल्लेखनीय है श्री बंशीधर नगर पंचायत की ओर से स्वच्छता पर प्रति माह लगभग पांच लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं। उसके बावजूद शहर स्वच्छ नहीं हो पाया है। जगह जगह पर कचरे का अंबार लगा हुआ है। वहीं शहर की नालियां बजबजा रही हैं। इसके बावजूद नगर पंचायत की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नगर पंचायत नरक पंचायत बन गया है। नपं में स्वच्छता के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर सरकारी राशि की बंदरबांट की जा रही है।
